December 13, 2025
वाराणसी

भगतुआ तिराहे पर लगा हाइमास्ट लाइट पिछले डेढ़ साल से बंद,लाइट बंद की आड़ में चल रहे हैं कई खेल, ग्रामीण क्षेत्रों में तंत्र भी फेल

चौबेपुर। वाराणसी के शहरी और शहर से सटे ग्रामीण इलाकों में स्मार्ट सिटी के तहत हाइमास्ट लाइट लगाया गया। इसके पीछे ये सोच थी कि तिराहों और चौराहों पर सूर्यास्त के बाद प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था रहे ताकि आम लोगों और व्यापारियों का जीवन आसान बने। इसी योजना के तहत टैक्स पेयर्स के लाखों रूपये खर्च कर भगतुआ तिराहे पर भी हाइमास्ट लाइट लगाया गया ताकि तिराहे पर पर्याप्त रोशनी रहे और व्यापारियों और दुकानदारों को दुकानदारी में सहूलियत हो और लोगों के लिए भी आवागमन में सुविधा हो। लेकिन पिछले डेढ़ साल से ये काम नही कर रहा है। सूर्यास्त के बाद लोगों को खासी दिक्क़तों का सामना करना पड़ रहा है और दुकानदारी बुरी तरह प्रभावित है। स्थानीय लोग नाराज़ होने के साथ साथ लाचार भी नज़र आ रहे हैं। अनिल उपाध्याय बताते हैं कि,“यहां के लोगों ने इसकी सूचना कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर और स्थानीय सांसद वीरेंद्र सिंह दोनों को दे चुके हैं,लेकिन इस बात को साल भर से ज़्यादा हो गया और कोई कार्रवाई नही हुई। करीब सात साल पहले 2018-19 में 4.78 लाख की लागत से ये हाइमास्ट लाइट तत्कालीन सांसद महेंद्र नाथ पाण्डेय जी के सौजन्य से लगा था और लोगों को इसका खूब लाभ भी मिल रहा था। लेकिन डेढ़ साल पहले जो इसमें खराबी आई उसके बाद से ये ऐसे ही बिना किसी काम का बना हुआ है। राहगीरों को शाम ढलने के बाद बहुत दिक्क़त आ रही है दुकानदारी तो चौपट हो ही रही है।”अनिल उपाध्याय नाराज़ होकर कहते हैं कि,“लाइट लगवाने का पत्थर तो दोनों पार्टी के नेता लगाते हैं लेकिन इसको ठीक कराने की जिम्मेदारी कोई नही ले रहा है।” वहीं स्थानीय दुकानदार शुभम कहते हैं कि,“हम हर उस जगह पहुंचे जहां से इसको ठीक करा लेने की उम्मीद थी लेकिन कहीं कोई सुनवाई नही हुई।”अनिल उपाध्याय लाचारगी जताते हुए कहते हैं कि,“बात सिर्फ हाइमास्ट लाइट तक ही सीमित नही है।बिजली को लेकर भी स्थिति ठीक नही है। लोग बेहाल हैं। जरूरत से ज़्यादा हो रही बिजली कटौती से किसानों को खेतों में पानी से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक सब बाधित है। लेकिन बिजली विभाग के लाइन मैन से लेकर जेई तक सब मनमाना रवैया दिखा रहे हैं।” देखने वाली बात यह है कि यह समस्या लगभग पिछले डेढ़ साल की बताई जा रही है। स्थानीय दुकानदारों ने इसकी जानकारी भी संबंधित विभाग को उपलब्ध कराई। इसके बावजूद कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई। पूर्व में भी इसको लेकर दैनिक भास्कर डिजिटल ने खबर प्रकाशित की थी। लेकिन किसी ने भी समस्या का समाधान नहीं करवाया। वहीं कुछ स्थानीय ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि दरअसल इसके पीछे अवैध मिट्टी खनन का खेल चलता है। देर रात तक हाइमास्ट लाइट जलने से अवैध तरीके से खनन की गई मिट्टी को ट्रैक्टर से ले जाने में चौराहे पर लगे सीसीटीवी कैमरे में पूरा कार्यक्रम स्पष्ट रूप से रिकार्ड होने का खतरा रहता है। इसको लेकर पहले से लगे हुए सीसीटीवी कैमरे भी बंद कर दिए जाते हैं। हाल-फिलहाल में एक और नया कैमरा चौराहे से किनारे लगा है जहां से शायद बलुआ की तरफ से आने जाने वाले ट्रैक्टर रिकॉर्ड होने का खतरा नहीं रहता है। आपको बता दें कि आपरेशन त्रिनेत्र के तहत सीसीटीवी कैमरे शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में चौराहे-चौराहे पर लगा गए थे ताकि अपराध को कम करने में सफलता मिले और कंट्रोल रूम से मानिटरींग हो सके। पर इसके उल्ट ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध खनन,लूट, चोरी इत्यादि अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं। पुलिस को भी घटना के बाद जानकारी जुटाने में खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इसके बावजूद पुलिस इसको ठीक कराने को लेकर संबंधित विभाग को सूचना प्रेषित नहीं करती है। आरोप यह भी है कि इस खेल में असल मायनों में स्थानीय थाना की भी हिस्सेदारी रहती है। अगर नहीं है तो डायल 112 की रात्रि गस्त में अवैध खनन कर मिट्टी लादे हुए ट्रैक्टर कैसे सरे-आम सड़कों और चौराहों पर बेखौफ दौड़ लगा रहे हैं। सवाल यह है कि जहां वाराणसी पुलिस जीरो टालरेंस के दावे कर रही है वहां शहरी क्षेत्रों में एक के बाद एक कई अवैध संचालित देह-व्यापार, आनलाइन सट्टा,साइबर फ्राड पर ताबड़तोड़ कार्यवाही कर रही है इसको लेकर एस.ओ.जी टीम गठित है। सीपी मोहित अग्रवाल लगातार पुलिसिंग को लेकर खुद मानिटरींग कर रहे हैं। सभी थानो की हर माह की रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है। कार्यवाही भी हो रही है लापरवाही को लेकर। लेकिन इसके बावजूद सारे तंत्र, सारी व्यवस्थाएं ग्रामीण क्षेत्रों में क्यों असफल नजर आ रही है। क्या ग्रामीण क्षेत्रों के थानो में तैनात थानाध्यक्ष खुद को अपने आला अधिकारियों से ऊपर समझ रहे हैं कि इतने सख्त आदेश के बाद भी कोई भय नहीं है ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध खेल पूर्व की भांति ही चल रहा है चाहे अवैध मिट्टी खनन हो या नशीले पदार्थों की अवैध बिक्री हो या गोकशी हो। सवाल फिर वही आखिर ग्रामीण क्षेत्रों में तंत्र विफल क्यों?

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