
बजरंग बली तिवारी
वाराणसी। पितृपक्ष के दौरान, काशी में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है,जो अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने और उनकी आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करने के लिए पिशाचमोचन कुंड और विभिन्न घाटों पर आ रहे हैं।इस वर्ष, 10 राज्यों से 40,000 से अधिक लोगों ने पितृदोष से मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान किया।
पितृपक्ष में उमड़ी भक्तों की भीड़
पितृपक्ष की पंचमी तिथि पर, पिशाचमोचन कुंड और घाटों पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा, जहां सुबह से लेकर रात तक लोग अपने पितरों का तर्पण करने के लिए एकत्रित हुए। शुक्रवार को पंचमी तिथि और भरणी नक्षत्र के शुभ संयोग के कारण,बड़ी संख्या में लोग बृहस्पतिवार शाम से ही वाराणसी पहुंचने लगे,जिससे पिशाचमोचन के आसपास की सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।तीर्थ पुरोहित मुन्ना पांडेय के अनुसार,इस दिन 40,000 से अधिक लोगों ने श्राद्ध और त्रिपिंडी अनुष्ठान किए।इसके अलावा,जिन लोगों को गया जाना होता है,उन्होंने भी यहां पिंडदान किया।आने वाले दिनों में,विशेषकर 14 सितंबर को अष्टमी और 15 को नवमी, साथ ही एकादशी,त्रयोदशी और अमावस्या पर भी भारी भीड़ होने की संभावना है।श्राद्धकर्म और उपयोग की जाने वाली सामग्रियां पितृदोष से मुक्ति के लिए लोग चार तरह के श्राद्धकर्म करते हैं: त्रिपिंडी,नारायण बलि,पार्वण और तीर्थ श्राद्ध।इन अनुष्ठानों में 20 से 61 तरह की सामग्रियां इस्तेमाल होती हैं,जिन्हें जुटाने में छह महीने तक का समय लग सकता है।कर्मकांडी ब्राह्मण कुलवंत मणि त्रिपाठी ने बताया कि इन सामग्रियों में त्रिदेवों (सोने,चांदी और तांबे की) की मूर्तियां,तीन तरह की औषधियां, छह तरह के फूल और पत्तियां,चार तरह के पल्लव,और कई अन्य वस्तुएं शामिल होती हैं। कुछ प्रमुख सामग्रियों में सोने का नाग,धातु का लोटा,कपड़े,झंडे, जनेऊ,रोली,चंदन,घी,कपूर, लौंग,इलायची,दूध,शहद, पंचरत्न और विभिन्न प्रकार के फल और फूल शामिल हैं।कुंड में प्रदूषण और मछलियों की मौत हालांकि,इतनी बड़ी संख्या में भक्तों के आने से एक समस्या भी खड़ी हो गई है।पिशाचमोचन कुंड पर श्राद्धकर्म के बाद पूजन सामग्री का ढेर लगा हुआ है।इस सामग्री को समय पर नहीं हटाया जा रहा,जिससे कुंड का पानी प्रदूषित हो रहा है और वहां की मछलियां मरने लगी हैं।छह दिनों में 2 लाख से अधिक लोगों ने किया श्राद्ध पिशाचमोचन कुंड के तीर्थ पुरोहितों,आनंद पांडेय और अनिल उपाध्याय के अनुसार,पितृपक्ष के शुरुआती छह दिनों में ही 2 लाख से अधिक लोग अपने पितरों के लिए पिंडदान और श्राद्धकर्म कर चुके हैं।सामान्य दिनों में 10 से 15 हजार लोग आते हैं,जबकि महत्वपूर्ण तिथियों पर यह संख्या 30 से 40 हजार तक पहुंच जाती है।


Leave feedback about this